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मेनका की हार,सुलतानपुर में खुला सपा का खाता

सुलतानपुर, लोकसभा चुनाव में सुलतानपुर सीट पर एक बड़े उलटफेर के तहत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिग्गज नेता और प्रत्याशी मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा है। उनके निकटतम प्रतिद्धंदी राम भुआल निषाद ने 41 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल कर पूर्वांचल की इस अहम सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) का खाता खोला है।

मेनका गांधी के लगातार क्षेत्र में उपस्थित रहकर किये गए रिकार्ड विकास कार्यो को जनता ने नकार दिया। सपा राम भुआल निषाद को चार लाख 21 हजार 858 वोट मिले जबकि मेनका को तीन लाख्व 80 हजार 98 मतों से संतोष करना पड़ा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) यहां तीसरे नम्बर पर रही है।

आज सुबह मतगणना प्रारम्भ होने के साथ ही समाजवादी पार्टी के राम भुआल निषाद ने बढ़त ले ली जो अंतिम चक्र तक बरकरार रही।भाजपा समर्थकों को अंतिम चक्र तक मेनका गांधी के पक्ष में करिश्मा होने की उम्मीद थी पर अंततः मेनका गांधी चुनाव हार गई।

मेनका गांधी ने सुलतानपुर सीट से एक मिथक या भ्रम तोड़ा था कि सुलतानपुर से कोई महिला उम्मीदवार संसद नही पहुंच सकता है। पिछले चुनावों के आधार पर यह टोटका माना जा रहा था। इसके पहले 1998 में सपा ने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा जोशी की बेटी रीता बहुगुणा जोशी को प्रत्याशी बनाया था। उस समय भाजपा के डी वी राय ने इन्हें करारी ने इन्हें शिकस्त दी थी। 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने गांधी परिवार की करीबी दीपा कौल को प्रत्याशी बनाया था । दीपा कौल को चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। इस चुनाव में बसपा के जय भद्रसिंह चुनाव जीत गए थे।

2004 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने डॉ वीणा पांडे को प्रत्याशी बनाया था। इस चुनाव में भी श्रीमती पांडे को चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। बसपा के मोहम्मद ताहिर खान विजयी हुए थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी के डॉ संजय सिंह की पत्नी डॉ अमिता सिंह चुनाव मैदान में थी, इस चुनाव में भाजपा के वरुण गांधी विजय हुए थे अमिता सिंह को चौथे स्थान पर ही जगह मिली थी।

इस मिथक को तोड़ने के साथ मेनका गांधी ने अपने ही बेटे वरुण गांधी की सीट को बरकरार रखा था।

इस बार मेनका गांधी के चुनाव में उनके पुत्र वरुण गांधी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन प्रचार में उतने जिसका कोई प्रभाव नही पड़ता दिखा। पिछले 2019 के चुनाव में मेनका गांधी को पहली बार कुल चार लाख 52 हजार 694 वोट मिले थे और अपने प्रतिद्वंदी गठबंधन के उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह सोनू को 12 हजार 392 वोटो से हराया है। चुनाव के कुछ दिन पहले ही सोनू ने सपा ज्वाइन कर सपा प्रत्याशी का ग्राफ बढ़ा दिया था।

ज्ञात हो कि सुलतानपुर में समाजवादी पार्टी का संसद में पहली बार खाता खुला हैं। वर्ष 1991 में श्रीराम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद विवाद के बाद से आठ चुनावों में पांच चुनाव भारतीय जनता पार्टी, एक बार कांग्रेस और दो बार बहुजन समाज जीती हैं।

मेनका गांधी को अपने निर्वाचन क्षेत्र में लगातार बने रहने, कोरोना में भी लगातार जनता के बीच आने जाने, जनता की ज्यादा से ज्यादा समस्याएं सुनने तथा उल्लेखनीय विकास कार्यो को करने का एक विश्वास था कि सुलतानपुर की जनता उन्हें मां का दर्जा देती हैं चुनाव जीत जाएगी।

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