बांदा में सदियों पुरानी परंपरा ‘तुला दान’ आज भी जीवंत
बांदा, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार तुला दान कार्यक्रम बुधवार को संपन्न हो गया। मकर संक्रांति के पर्व पर आयोजित होने वाले इस द्विदिवसीय कार्यक्रम का यहां अतर्रा क्षेत्र में विशेष महत्व है। जिसमें माता-पिता अपने संपूर्ण जीवन काल में अपने पुत्र को एक तराजू में बैठा कर उसके बराबर खाद्यान्न , गुड़ आदि सामग्री दान कर प्रति वर्ष उसके निरोगी रहकर खुशहाल भविष्य होने की कामना करते हैं।
अतर्रा कस्बे के सुलख थोक निवासी , राधा कृष्ण द्विवेदी, राजेश एवं बबलू उर्फ कृपा शंकर अवस्थी ने बताया कि इस पुरानी परंपरा के अनुसार कार्यक्रम को संपन्न करने हेतु जोशी समुदाय के लोग अपने-अपने जजमानों के घर बड़ा तराजू (कांटा) लेकर पहुंचते हैं। जहां उनका विधिवत स्वागत सत्कार होता है । साथ ही तराजू खड़ा कर उसकी पूजा की जाती है और तराजू की एक पड़ले में बेटे को बैठाकर दूसरे पड़ले में उसके बराबर गेहूं , चना , चावल या गुड़ आदि रखने के बाद विधिवत पूजा व मंत्रोच्चार कर तौला जाता है। बाद में बेटे के बराबर तौली गयी खाद्यान्न सामग्री को जोशी को दान किया जाता है। साथ ही सामर्थ्य के अनुसार जोशी को 101, 251, 501 रुपए की धनराशि देकर घर से उन्हें सम्मान विदा किया जाता है। जिससे उनके बच्चों का भविष्य स्वस्थ एवम् कष्ट मुक्त रहकर खुशहाल बना रहे।
नागरिकों के अनुसार इस वर्ष भी इस परंपरा के तहत सैकड़ो लोगों ने अपने सभी पुत्रों का तुलादान कराया और जिन लोगों के बेटे घर से बाहर थे , उनके माता-पिता ने भी बेटों के अनुमानित वजन के हिसाब से उन्हें खाद्यान्न या खाद्यान्न की नगद कीमत देकर अपने घर से सम्मान बिदा किया। जिससे उनके बच्चों का भविष्य स्वस्थ व कष्ट मुक्त रहकर खुशहाल बना रहे।