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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बंगाल की दिया मुखर्जी ने फैब्रिक पेंटिंग से लोगों को आकर्षित किया

नयी दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी के भारत मंडपम में चल रहा 43वां अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला युवा-युवतियों को अपने उद्यमशीलता प्रदर्शित करने का मंच दे रहा है। इसी तरह के युवाओं में पश्चिम बंगाल की आर्टिस्ट दिया मुखर्जी भी हैं, जो शौकिया तौर पर चित्रकार हैं और अपनी कला को फैब्रिक पर पेंट करती हैं।

भारत मंडपम के हॉल नंबर 10 के एक स्टाल पर अपनी पेंटिग की पृष्ठभूमि में तुलिकाओं और रंग के साथ एक टीशर्ट पर राधा कृष्ण का चित्र बनाते हुये दिया ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा, “मैंने सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरी की उम्मीद रखने की बजाए अपने शौक को चुना है और अब अपने हुनर को दुनिया के सामने लाकर खासकर अपनी उम्र के युवाओं को अपनी कलात्मक शौक को अभिव्यक्ति देने के रास्ते को चुनने के लिये जागरूक कर रही हूं।”

दिया ने बातचीत में कहा, “मुझे शुरू से ही पेंटिंग करने का शौक था लेकिन फिर भी मैंने साइंस में पढ़ाई पूरी की और एक निजी कंपनी में नौकरी की। बाद में, नौकरी से मन ऊबने लगा तब मुझे लगा नौकरी करना मेरे बस में नहीं है, मेरा शौक और पेशा कला है और इस क्षेत्र में ही कुछ अलग करना है। इसलिये मैंने अपने सीनियर से पेंटिंग करने का प्रशिक्षण लिया।”

दिया मुखर्जी टीशर्ट, कुर्ते और परिधानों के अलावा ज्वैलरी पर हैंड पेंटिंग करती हैं और यह उनका रोजगार बन चुका है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने शौक को हुनर में बदलकर, अपने साथ-साथ दूसरों की भी मदद कर सकता है और कोई भी कलाकार हर वर्ग के व्यक्ति को अपने शौक को हुनर में बदलने के लिये प्रेरित कर सकता है।

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले की दिया ने अपने शौक को व्यवसाय का रूप दे दिया है और वे हैंडपेंटिड (हाथ की चित्रकारी वाले) परिधानों का अपना खुद का कारोबार जमाने में लगी हैं।

दिया ने कहा, उन्होंने कहा, मेरा कला क्षेत्र में आना सहज नहीं था, लेकिन अब मुझे विश्वास है कि निम्न, मध्यम परिवार के लोग अपने आर्ट के शौक को अपनी मेहनत से रोजगार के माध्यम के रूप में बदल सकते हैं। मैं यहां अपने व्यवसाय को प्रदर्शित करने के साथ-साथ अपने मन का संदेश भी देना चाहती हूं।

उन्होंने बताया कि उन्हें उनकी कला और उद्यमशीलता के लिये 2016 में केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय से मान्यता मिली है और उसकी मदद से ऐसे व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में वह अपना स्टॉल लगाती है। दिया ने बताया कि अब तक वह कई राज्यों में सरकार की ओर से स्टाल लगा चुकी हैं। इससे उन्हें साल भर में करीब 4-5 लाख रूपये तक की कमाई हो जाती है।

दिया एब स्टाइल ब्रांड के माध्यम से अपना काम जमा रही हैं और उसने एक टीम बना ली है। उन्होंने कहा, “आज मैं कला और मेहनत , उद्यमशीलता से अपने परिवार की देखभाल कर पा रही हूं तथा कुछ अन्य लोगों को भी रोजगार दे पा रही हूं।”

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