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सूर्य अर्घ महोत्सव की तैयारियों में जुटा प्रशासन

कौशांबी, उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में रविसुता यमुना के तट पर द्वापर युग से मकर संक्रांति 14 जनवरी के अवसर पर लगने वाले सूर्य अर्घ महोत्सव को लेकर प्रशासन तैयारियों में जुटा है।

यह प्रभोस गिरी में संपन्न होगा। मेला आयोजन मंडल व प्रशासन सूर्य मेला की तैयारियों में लगा हुआ है। मेले में 2 लाख से अधिक सूर्य उपासको की आने की संभावना है। सदियों से आयोजित होने वाला इस मेले में कौशांबी, चित्रकूट, बांदा, प्रयागराज, फतेहपुर सहित पड़ोसी जिलों से भारी संख्या में श्रद्धालु प्रभोस गिरि आते हैं। यमुना में डुबकी लगाकर सूर्य को जल देकर,पूजा पूजा अर्चना करते हैं, यमुना की पूजा करके मकर संक्रांति के पवित्र पर्व पर खिचड़ी का दान करते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर यमुना में स्नान व सूर्य पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्त होते हैं।

इस अवसर पर श्रद्धालु जिले के एकमात्र पर्वत प्रभास गिरि के परिक्रमा करते हैं तदोपरांत पर्वत के शिखर पर स्थित जैन धर्म के छठे तर्थंकर भगवान पदम प्रभु का दर्शन करते हैं। यहां आए हुए श्रद्धालु महाभारत में वर्णित बहुला गाय के मंदिर में पहुंचकर माथा टेकते और मनोवांछित फल प्राप्त के लिए कामना करते हैं। मेला में आए हुए श्रद्धालु अपनी जरूरत का सामानभी खरीद कर ले जाते हैं। पूर्व में तो श्रद्धालु यहां से पत्थर का सामान निश्चित रूप से ले जाते थे। पत्थर का सामान प्रभास गिरि पर्वत के पत्थर से ही निर्मित किया जाता था। मेला में आए हुए श्रद्धालु यहां से बांस की लाठी खरीदना नहीं भूलते थे। लाठी का प्रयोग अस्त्र के रूप किया करते थे। लोगों का कहना है कि यहां सूर्य मेला से खरीदी गई लाठी बहुत फलदाई होती है। यहां का अनोखा लाठी मेला भी अपनी पहचान को जीवंत बनाए हुए है।

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