Breaking NewsMain Slidesभारत

राष्ट्रपति ने कहा,साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नये खतरे

नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन को मानवाधिकारों के लिए नए खतरे करार देते हुए ऐसे सुरक्षित, संरक्षित और न्यायसंगत डिजिटल माहौल के महत्व पर बल दिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा हो।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को यहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह में कहा,“ मानवाधिकार दिवस पर, हमें न्याय, समानता और सम्मान के मूल्यों के प्रति नये सिरे से अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता करनी चाहिए जो हमारे राष्ट्र को परिभाषित करते हैं। हमें प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को बनाए रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। एक साथ, निरंतर प्रयास और एकजुटता के माध्यम से, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जिसमें हर व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, पृष्ठभूमि या परिस्थिति कुछ भी हो, सम्मान, अवसर और पूर्णता का जीवन जीने के लिए सशक्त हो।”

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सभी नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी देने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है। सरकार सभी के लिए आवास, स्वच्छ पेयजल, बेहतर स्वच्छता, बिजली, रसोई गैस और वित्तीय सेवाओं से लेकर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की गारंटी भी देती है। बुनियादी आवश्यकताओं के प्रावधान को अधिकारों के मामले के रूप में देखा जाता है।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, हम उभरती चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नए खतरे हैं। डिजिटल युग, परिवर्तनकारी होने के साथ-साथ अपने साथ साइबरबुलिंग, डीपफेक, गोपनीयता संबंधी चिंता और गलत सूचना के प्रसार जैसे जटिल मुद्दे लेकर आया है। ये चुनौतियाँ एक सुरक्षित, संरक्षित और न्यायसंगत डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित करती हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब दैनिक जीवन में प्रवेश कर चुका है, कई समस्याओं का समाधान कर रहा है और कई नई समस्याएँ भी पैदा कर रहा है। अब तक मानवाधिकारों का विमर्श मानव एजेंसी पर केंद्रित रहा है, यानी उल्लंघनकर्ता को एक इंसान माना जाता है, जिसमें करुणा और अपराधबोध जैसी मानवीय भावनाएँ होती हैं। हालाँकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में अपराधी कोई गैर-मानव लेकिन बुद्धिमान एजेंट हो सकता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हमें वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की सोच की समीक्षा करने के लिए मजबूर करता है। एक अलग जगह और एक अलग युग के प्रदूषक दूसरे स्थान और दूसरे काल के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत ने जलवायु कार्रवाई में सही ढंग से नेतृत्व संभाला है। सरकार की पहल, जैसे कि 2022 ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, ग्रीन क्रेडिट पहल और पर्यावरण के लिए जीवनशैली, या ‘लाइफ’ आंदोलन, भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और हरित ग्रह के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता का स्पष्ट प्रदर्शन हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में, मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, खासकर बच्चों और युवाओं के लिए। उन्होंने सभी हितधारकों से बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाले तनाव को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय शुरू करने की अपील की। ​​उन्होंने व्यवसाय जगत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि बढ़ती ‘गिग इकॉनमी’ गिग श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले। जैसे-जैसे हम नए आर्थिक मॉडल अपनाते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से कमजोर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भलाई प्राथमिकता बनी रहे। सभी को मानसिक बीमारी से जुड़े किसी भी कलंक को दूर करने, जागरूकता पैदा करने और जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान करने की दिशा में काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत ने 5,000 वर्षों से अधिक की अपनी सभ्यतागत विरासत के साथ, सहानुभूति, करुणा और सामंजस्यपूर्ण समुदाय के भीतर व्यक्तियों के परस्पर जुड़ाव के मूल्यों को लंबे समय तक कायम रखा है। इन मूल्यों के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोगों जैसी संस्थाएँ नागरिक समाज, मानवाधिकार रक्षकों, विशेष प्रतिवेदकों और विशेष निगरानीकर्ताओं के साथ मिलकर सभी के लिए मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने उल्लंघनों को दूर करने, जागरूकता बढ़ाने और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए नीतिगत बदलावों की सिफारिश करने में आयोगों की की सक्रिय भूमिका की सराहना की।

Related Articles

Back to top button