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मथुरा में वैदिक मंत्रों मध्य हुई रावण की पूजा

मथुरा, उत्तर प्रदेश के मथुरा में जहां विजयादशमी के पावन पर्व पर आज देश के विभिन्न भागों में रावण का पुतला जलाया गया वहीं तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी में आज ही वैदिक मंत्रों के मध्य कई घंटे तक रावण की पूजा का आयोजन एक अनूठे मन्दिर में किया गया।

यह अनूठा मन्दिर इसी वर्ष यमुना किनारे लक्ष्मीनगर क्षेत्र में लंकेश भक्त मण्डल द्वारा बनवाया गया है,इसमें महान विद्वान रावण श्रीराम से सीता के साथ रामेश्वरम में सेतु का निर्माण करने के पहले भगवान शिव का पूजन करा रहे है तथा पास में हनुमान जी एवं जामवंत खड़े हैं। पूजन और महाआरती के पूर्व 10 घंटे तक सीताराम मंदिर के महन्त श्रीराम एवं उनके सहयोगी श्याम प्रकाश अवस्थी ने महाजाप किया । दस घंटे तक चले इस कार्यक्रम से वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो गया ।

इस अवसर पर लंकेश भक्त मंडल के संस्थापक अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने बताया कि मंडल पिछले 24 वर्षों से न केवल शिव ताण्डव के रचयिता महान विद्वान रावण की पूजा करता चला आ रहा है बल्कि इसके माध्यम से इस बात का जन जागरण करता आ रहा है कि रावण के पुतले का हर साल दहन सनातन परंपरा के विपरीत है। सनातन संस्कृति में किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार केवल एक बार होता है बार बार इसे करना नई पीढ़ी में कुसंस्कार पैदा करना है ।यह रावण जैसे विद्वान का अनादर भी है तथा रावण के पुतले का दहन एक पर्यावरण विरोधी कार्य भी है।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने संकल्प लिया कि उनमें से हर एक व्यक्ति समाज में रावण के पुतले के दहन जैसी कुरीति के खिलाफ जन जागरण करेगा जिससे विद्वान का अपमान करने का कुसंस्कार आनेवाली पीढ़ी में पैदा न हो। उधर आज ही रामलीला मैदान मथुरा में रावण और मेघनाथ के पुतले का दहन किया गया तथा इससे पूर्व राम रावण युद्ध का मंचन भी किया गया ।

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