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मंत्रिमंडल ने 2 हजार करोड़ रूपये की लागत से ‘मिशन मौसम’ को मंजूरी दी

नयी दिल्ली, सरकार ने देश में मौसम और जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान को बढावा देने के लिए दो हजार करोड़ रूपये की लागत से ‘मिशन मौसम’ शुरू करने का निर्णय लिया है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मंत्रिमंडल ने दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ ‘मिशन मौसम’ को मंजूरी दे दी है।

मिशन मौसम, जिसे मुख्य रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा, को देश के मौसम और जलवायु से संबंधित विज्ञान, अनुसंधान और सेवाओं को जबरदस्त बढ़ावा देने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल माना जाता है। यह नागरिकों और अंतिम छोर के उपयोगकर्ताओं सहित हितधारकों को चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करेगा। यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम लंबे समय में समुदायों, क्षेत्रों और पारिस्थितिकी प्रणालियों में क्षमता और लचीलापन बढ़ाने में मदद करेगा।

मिशन मौसम के हिस्से के रूप में, भारत वायुमंडलीय विज्ञान, विशेष रूप से मौसम निगरानी, ​​मॉडलिंग, पूर्वानुमान और प्रबंधन में अनुसंधान तथा विकास एवं क्षमता को तेजी से बढ़ाएगा। उन्नत अवलोकन प्रणालियों, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत करके, मिशन मौसम उच्च परिशुद्धता के साथ मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए एक नया मानक स्थापित करेगा।

मिशन का फोकस समय और स्थान के पैमाने पर अत्यधिक सटीक और समय पर मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी प्रदान करने के लिए अवलोकन और समझ में सुधार करना होगा, जिसमें मानसून पूर्वानुमान, वायु गुणवत्ता के लिए अलर्ट, चरम मौसम की घटनाएँ और चक्रवात, कोहरे, ओलावृष्टि और बारिश आदि के प्रबंधन के लिए मौसम हस्तक्षेप, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करना शामिल है। मिशन मौसम के महत्वपूर्ण तत्वों में उन्नत सेंसर और उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रह प्रणालियों की तैनाती, बेहतर पृथ्वी प्रणाली मॉडल का विकास और वास्तविक समय के डेटा प्रसार के लिए जीआईएस-आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली शामिल होगी। मिशन मौसम से कृषि, आपदा प्रबंधन, रक्षा, पर्यावरण, विमानन, जल संसाधन, बिजली, पर्यटन, शिपिंग, परिवहन, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों को सीधे लाभ होगा। यह शहरी नियोजन, सड़क और रेल परिवहन, अपतटीय संचालन और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में डेटा-संचालित निर्णय लेने को भी बढ़ाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तीन संस्थान: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र मुख्य रूप से मिशन मौसम को लागू करेंगे। इन संस्थानों को अन्य पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय संस्थानों (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान) के साथ-साथ सहयोगी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, शिक्षाविदों और उद्योगों द्वारा समर्थन दिया जाएगा, जिससे मौसम और जलवायु विज्ञान और सेवाओं में भारत के नेतृत्व को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

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