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नीट धांधली में लीपापोती का प्रयास कर रही है राजग सरकार: मल्लिकार्जुन खड़गे

नयी दिल्ली,  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को कहा कि नकल विरोधी कानून को अधिसूचित करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबधंन (राजग) सरकार का मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में धांधली में लीपापोती का प्रयास है लेकिन उसे समझ लेना चाहिए इस मामले की जिम्मेदारी से वह किसी स्तर पर बच नहीं सकती है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार के शिक्षा मंत्री इस मामले में गलत बयानबाजी कर रहे हैं। नया कानून अधिसूचित हो गया है जबकि कानून कल ही अधिश्चित हुआ है और इसे फरवरी में है ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।

उन्होंने कहा, “घोटाले मे भाजपा जितनी भी कोशिश कर ले-धाँधली, भ्रष्टाचार और शिक्षा माफ़िया को बढ़ावा देने की अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती। इस पर तीन तथ्य और तीन सवाल हैं जिनका जवाब मोदी सरकार को देना ही पड़ेगा। तथ्य – पेपर लीक के विरूद्ध क़ानून अधिसूचित नहीं हुआ था, जब शिक्षा मंत्री की प्रेस वार्ता में उनसे इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि क़ानून अधिसूचित हो गया। तेरह फ़रवरी 2024 में इस क़ानून को राष्ट्रपति जी का एसेंट मिल गया था पर क़ानून बीती रात को ही अधिसूचित हुआ है। सवाल है मोदी सरकार के शिक्षा मंत्री ने झूठ क्यों बोला कि क़ानून अधिसूचित हो गया है और विधि एवं न्याय मंत्रालय को उसके नियम बनाने ही रह गए हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “दूसरा तथ्य – शिक्षा मंत्री पहले तो पेपर लीक को नकारते रहे फ़िर जब गुजरात, बिहार, हरियाणा में गिरफ़तारियां हुईं तब कह रहें हैं कि चूंकि कुछ जगहों पर स्थानीय तौर पर पेपर लीक हुए हैं इसलिए दोबारा परीक्षा नहीं करा पाएंगे। जबकि तथ्य है कि 2015 में प्री मेडिकल टेस्ट में महज 44 छात्रों की संलिप्तता थी तब भी सुप्रीम कोर्ट के कहने पर छह लाख अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा दोबारा कराई गई।

सवाल है नीट पर भी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर 0.001 भी घपला हुआ है तो वो कार्रवाई होनी चाहिए पर मोदी सरकार परीक्षा दोबारा क्यों नहीं करवा रही, जबकि शिक्षा मंत्री ने ‘गड़बड़ी’ की बात मान ली है। तीसरा तथ्य है नौ दिनों में एनटीए ने तीन बड़ी परीक्षाएं रद्द या स्थगित की हैं। क़ानून पास करवाने के बाद भी भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में उप्र पुलिस तथा पदोन्नति बोर्ड जिसके तार गुजरात की एक कंपनी से जुड़े पाएं गए हैं। सवाल है क्यों पेपर लीक के विरूद्ध क़ानून पास करवाने के बाद भी पेपर लीक हो रहें हैं? पिछले सात सालों में जब 70 पेपर लीक हुए, तब मोदी सरकार ने उसपर कोई कड़ा क़दम क्यों नहीं उठाया।”

उन्होंने कहा,”नया क़ानून लाना केवल भाजपाई लीपापोती ही है। जब तक शिक्षा प्रणाली और स्वायत्त संस्थानों को भाजपा आरएसएस की दखलंदाज़ी तथा दुष्प्रभाव से मुक्त नहीं किया जाएगा तब तक ये धाँधली, चोरी, भ्रष्टाचार चलता रहेगा।”

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