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केंद्रीय बैंकों के नीतिगत निर्णय का बाजार पर रहेगा असर

मुंबई, रूस की तेल रिफाइनरी पर यूक्रेन के ड्रोन हमले के साथ ही अमेरिका में महंगाई की दर अनुमान से अधिक रहने के बाद फेड रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती शुरू करने को लेकर बढ़ी चिंता के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई भारी बिकवाली से बीते सप्ताह दो प्रतिशत की गिरावट देख चुके घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों की नीतिगत दरों को लेकर होने वाली बैठकों के निर्णय का असर रहेगा।

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1476.46 अंक अर्थात 1.99 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 72643.43 अंक रह गया। साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 470.2 अंक यानी 2.1 प्रतिशत की गिरावट लेकर 22023.35 अंक पर आ गया।

समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों पर बिकवाली का दबाव दिग्गज कंपनियों से अधिक रहा। इससे मिडकैप 1602.41 अंक अर्थात 4.02 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 38250.44 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह स्मॉलकैप 2640.82 अंक यानी 5.9 प्रतिशत टूटकर 42012.75 अंक रह गया।

विश्लेषकों के अनुसार, एक नई ऊंचाई छूने के बाद बाजार मूल्यांकन और अस्थिरता में वृद्धि पर चिंताओं के कारण बीते सप्ताह घरेलू बाजार में करेक्शन देखा गया। खुदरा निवेशकों की बिकवाली के कारण मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट आई। हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में सौदेबाजी के अवसर बने रहने की उम्मीद है। इस बीच एफएमसीजी और सोने जैसे विरोधाभासी शेयर कुछ राहत दे रहे हैं।

अगले सप्ताह वैश्विक केंद्रीय बैंकों अमेरिकी फेडरल रिजर्व, बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होने वाली है। इन बैंकों के ब्याज दरों को लेकर होने वाले निर्णय पर बाजार की नजर रहेगी। हालांकि अमेरिकी बेरोजगारी दर में वृद्धि और महंगाई दर के अनुमान से अधिक रहने के कारण फेड रिजर्व की ब्याज दर में कटौती किए जाने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इससे अमेरिका के 10 वर्षीय बांड यील्ड और डॉलर सूचकांक में बढ़ोतरी हुई और इसका असर उभरते बाजारों पर भी दिखाई देने लगा है।

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