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कांग्रेस ने चार दशक बाद चखा जीत का स्वाद

सहारनपुर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रसूखदार सियासी घराने से ताल्लुक रखने वाले इमरान मसूद ने धमाकेदार जीत हासिल कर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चार दशक के इंतजार का समापन किया।

यह तीसरा मौका है जब कांग्रेस ने जिले में जीत का स्वाद चखा है। कांग्रेस का इमरान मसूद पर 10 साल से कायम भरोसा रंग ले ही आया। मोदी युग के पिछले दो चुनावों में भाजपा को तगड़ी चुनौती देने वाले इमरान मसूद के जरिए कांग्रेस अबकी तीसरी बारी में लोकसभा पहुंचने में सफल हो गई।

मसूद परिवार की ओर से आखिरी बार 2001 में इमरान मसूद के चाचा काजी रशीद मसूद सपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीते थे। अब 2024 में उनके भतीजे और देश के बहुचर्चित नेता इमरान मसूद ने भाजपा के राघव लखनपाल शर्मा को 64542 वोटों के अंतर से हराया। इमरान मसूद को 547967 वोट मिले। भाजपा को 483425 वोट मिले, बसपा के माजिद अली को 180353 वोट मिले।

भाजपा शुरू से ही दोनों मुस्लिम उम्मीदवारों में बंटवारे को अपनी जीत का आधार मानकर चल रही थी। प्रदेश भाजपाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने जिद्द करके राघव लखनपाल को टिकट दिलवाया लेकिन राघव लखनपाल भाजपा नेतृत्व के भरोसे पर खरे नहीं उतर पाए।

कांग्रेस पार्टी 40 साल बाद सहारनपुर सीट पर लोकसभा चुनाव जीती है। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर पर सवार होकर यशपाल चौधरी ने तत्कालीन सांसद रशिद मसूद को चुनाव में पराजित कर लोकसभा चुनाव जीता था।

1951-52 लेकर 1971 तक हमेशा सहारनपुर का नेतृत्व कांग्रेस ने किया। 1952 और 1957 में अजित प्रसाद जैन और 1962 और 1967 एवं 1971 में दलित नेता सुंदर लाल कांग्रेस से सांसद चुने गए।

इमरान मसूद ने अपनी जीत का श्रेय अल्लाह के साथ-साथ भगवान श्रीराम के आर्शीवाद और राजपूतों के समर्थन को दिया। पराजित राघव लखनपाल शर्मा ने राजपूतों की नाराजगी और हिंदू समाज के जातियों में बंटने को अपनी हार का कारण बताया।

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